भोपाल। दिवाली से पहले प्रदेश सरकार 'गृह लक्ष्मियों' के लिए इस दीवाली पर एक बड़ा तोहफा दे सकती है। यह उपहार उन्हें परिवार की अचल संपत्ति के सह-स्वामित्व विलेख के खर्च में संशोधन के रूप में मिलेगा।
सह-स्वामित्व विलेख का अर्थ है कि परिवार के पुरुष सदस्य अगर अपनी पत्नी, बेटी या पुत्र-वधु को स्वयं की अचल संपत्ति में हिस्सेदार बनाते हैं तो उन्हें रजिस्ट्री के प्रपत्रों में संबंधित महिला का नाम जुड़वाने के लिए मात्र 1100 रुपए खर्च करना होंगे। राज्य की कांग्रेस सरकार के वचन-पत्र में शामिल इस निर्णय को बहुत जल्द लागू किया जा रहा है।
अभी खर्च करना होती है सरकारी कीमत की 5.3 प्रतिशत राशि
- जिला उप-पंजीयक कार्यालय के मुताबिक साल की शुरुआत में ही राज्य सरकार ने महिलाओं को संपत्ति में स्वामित्व दिलाने की की दिशा में काम करना शुरु कर दिया था। इस तारतम्य में रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा वसूली जाने वाली सरकारी कीमत की 1 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी को जनवरी 2019 में खत्म कर दिया था।
- इसके बाद भी पुरुषों को अपनी सम्पत्ति में पत्नी या पुत्र-वधु या पुत्री को हिस्सेदार बनाने के लिए सरकारी कीमत का 3% नगर पालिका शुल्क, 1% ब्लॉक ड्यूटी, 0.5% उपकर और 0.8% रजिस्ट्री फीस यानी कुल 5.3% खर्च करना पड़ रहा था। लेकिन ताजा निर्णय के अनुसार अब यह समस्त शुल्क (5.3%) को भी शून्य किया जा रहा है। पुरुष अब मात्र मात्र 1100 रु. फीस देकर अपनी प्रॉपर्टी में पत्नी, बेटी या पुत्रवधु को हिस्सेदार बना सकते हैं।
इसलिए है जरूरी: आधिकारिक जानकारी के अनुसार महिला सशक्तिकरण के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, लोक प्रतिनिधित्व के साथ-साथ उनका आर्थिक रूप से सशक्त होना भी जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि उन्हें पुरुष वर्ग अपनी अचल संपत्ति में हिस्सेदारी दे। चूंकि सह-स्वामित्व विलेख संशोधन के लागू होने तक यह काफी महंगा पड़ता है। इसके चलते लाेग महिलाओं को हिस्सेदार बनाने में झिझकते हैं। उदाहरण के लिए अगर कोई प्लाट 10 लाख रु. का है तो इसमें महिला को हिस्सेदार बनाने 53 हजार रु. खर्च करना पड़ते हैं। लेकिन संशोधन लागू होने के बाद यही काम मात्र 1100 रु. में हो जाएगा।